संबित पात्रा ने अभी डॉक्यूमेंट के साथ कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की एक बेहद गंदी साजिश का पर्दाफाश किया है।
आप किसी भी सेकुलर सूअर वामपंथी या कांग्रेसी के ट्विटर या वॉल पर देखिए, वे सड मजदूरों की रोड पर पैदल चलते हुए बेहद दर्दनाक तस्वीरें लगा रहे हैं।
अभी बीच में एक लेडी का वीडियो बहुत वायरल हुआ था जिसमें वह सूटकेस के ऊपर अपने बच्चे को सुला कर उसे खींचती हुई राजस्थान ले जा रही थी ।
लेकिन यह दोगले एक गंदी सच्चाई लोगों को नहीं बता रहे हैं कि सिर्फ छत्तीसगढ़ राजस्थान झारखंड बंगाल के ही मजदूर इतने परेशान क्यो हैं ?और पैदल चलने को मजबूर हैं क्यों है ?
दरअसल अभी पूरे देश में लॉक डाउन है सभी राज्यों ने अपने यहां पर अपने अपने कानून के हिसाब से अलग-अलग धाराएं लगाई हैं तब ऐसे में यदि रेलवे को ट्रेन चलाना है तो उसे दोनों राज्यों की लिखित मंजूरी अनिवार्य है। यानी कि जिस राज्य से ट्रेन चलेगी और जिस राज्य में ट्रेन पहुंचेगी।मजदूरों का रेल किराया 85 % रेल विभाग खुद वहन करेगा तथा 15 % जिष राज्य के मजदूर हैं उस राज्य को देना पड़ेगा। यदि उस राज्य के मुख्यमंत्री रेलवे विभाग से रेल चलाने का आग्रह करेंगे तो।
ममता बनर्जी ने सिर्फ 9 ट्रेनों की मंजूरी दी उसमें से एक ट्रेन अजमेर में फंसे मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए थी।.
जबकि उत्तर प्रदेश में योगीजी ने 500 ट्रेनों की मंजूरी दी।झारखंड ने 38 ट्रेनों की मंजूरी दी ।बिहार ने 260 रनों की मंजूरी दी।
मध्य प्रदेश ने 240 ट्रेनों की मंजूरी दी।
लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सिर्फ दो ट्रेनों की मंजूरी दी। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने तीन ट्रेन की मंजूरी दी। और यही कारण है कि सड़कों पर जितने भी मजदूर पैदल चल रहे हैं वह या तो झारखंड के होंगे या राजस्थान के होंगे या छत्तीसगढ़ के होंगे या बंगाल के होंगे ।
अभी कल बांद्रा और मुंबई सेंट्रल में बंगाल के मजदूरों ने खूब हंगामा किया सूरत में भी बंगाली मजदूरों ने खूब हंगामा किया।
अभी एक टीवी चैनल पर देखा कि हरिद्वार और ऋषिकेश में 3000 से ज्यादा बंगाली श्रद्धालु फंसे हुए हैं लेकिन ममता बनर्जी ने उनकी एक नहीं सुनी ।वही अजमेर में बंगाल के मुस्लिम श्रद्धालु फंसे थे तब उसने तुरंत ही ट्रेन की मंजूरी देकर उन्हें अपने राज्य वापस बुला लिया।
यहां गुजरात में बहुत से बंगाली मजदूर काम करते हैं वह सब परेशान हैं लेकिन मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए इन राज्यों ने जानबूझकर ट्रेनों की मंजूरी नहीं दी।
और तो और रवीश कुमार भी अपने वॉल पर मजदूरों की दर्दनाक कहानी लिख रहे हैं, लेकिन बड़ी चालाकी से वह असली बात छुपा देते हैं। इन मजदूरों की दुर्दशा के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ?
आखिर क्यों नहीं विपक्ष कांग्रेस शासित राज्य ट्रेनों की मंजूरी दे रहे हैं ?
जबकि खुद रेल मंत्री ने कहा यदि राज्य मंजूरी दे तो मैं 300 ट्रेन रोजाना चला सकता हूं। फिर विपक्षी राज्य मंजूरी क्यों नहीं दे रहे ?
दरअसल कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां मजदूरों की लाशों पर गंदी राजनीति करना चाहती हैं ।यह पार्टियां चाहती है कि मजदूर मरे और हम उनकी लाशों को गिद्ध की तरह नोंचे और अपनी राजनीति चमकाएं।
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